पशुपालकों के सवाल और ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब – भाग २

पशुपालन

पशुपालन और पशुओं के स्वस्थ्य से सम्बंधित सामान्य जानकारियां पशुपालकों के सवाल और ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब के इस भाग में ग्रोवेल के डॉक्टर के द्वारा दी जा रही हैं। हमारे पशुपालक भाई इन जानकारियों को अमल करके अपने पशुओं को काफी हद तक स्वस्थ्य और दुधारू बनाये रख सकतें हैं और अपने पशुपालन ब्यवसाय में अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकतें हैं ।पशुपालक भाई कृपया आप पशुपालको के सवाल और ग्रोवेल के डॉक्टर के जबाब को ध्यान से पढ़ें ,उस पर अमल करें और अपने पशुओं को स्वस्थ्य और दुधारू बनाये रखेंऔर अधिक से अधिक लाभ कमायें ।

प्रश्न: संक्रामक रोगों के प्रमुख लक्षण क्या है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : संक्रामक रोगों के प्रमुख लक्षण निम्न है:- – तीव्र ज्वर – भूख ना लगना – सुस्ती – सूखी थोंथ – कमजोर रूमिनल गति अथवा पूर्ण रूप से स्थिर होना – दुग्ध उत्पादन में अचानक कमी – नाक-आँख से स्त्राव – दस्त या कब्ज का होना – जमीन पर गिर जाना – लेट जाना

प्रश्न: क्या पशुओं के रोग मनुष्यों को संक्रमित हो सकते है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : जी हाँ,पशुओं से मनुष्यों को संक्रमित होने वाले रोगों को भी ज़ूनोटिक रोग कहते है। वास्तव में मनुष्य भी पशुओं को संक्रमित कर सकते है। उदाहरण:- रैबिज़ (हल्क), टूयब्ररकूलोसिस (क्षय रोग), ब्रसलोसिस, एंथ्रेकस (तिल्ली बुखार), टिटेनस इत्यादि।

प्रश्न: संक्रामक किसानों/पशुपालकों की आर्थिक स्थिती को कैसे प्रभावित करते है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : मुख्यतः विभिन्न संक्रामक रोग पशुओं के विभिन्न अंगों को प्रभावित करके अंततः कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं। दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है। भेड़-बकरियों में उन का उत्पादन प्रभावित होता है। इसके अतिरिक्त ये रोग मास उत्पादन एवं उसकी गुणवत्ता को कम करते है। इसके अतिरिक्त ये रोग गर्भपात एवं प्रजनन क्षमता को कम करता हैं।

प्रश्न: वर्षा ऋतु में फैलने वाले प्रमुख रोग कौन-कौन से है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : वर्षा ऋतु में बहुत से संक्रामक फैलते हैं जैसेकि गलघोंटू, लंगड़ा बुखार, खुरपका रोग, मुहँ-खुर पका रोग, दस्त इत्यादि।

प्रश्न: कौन से संक्रामक रोग प्रजजन क्षमता को प्रभावित करते है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : पशुओं की प्रजनन प्रणाली में बहुत से जीवाणु एवं विषाणु फलित-गुणित होते हैं जोकि प्रजनन क्षमता में कमी एवम् गर्भसपात का कारण होता है। निम्न प्रमुख संक्रामक रोगवाहक हैं जोकि प्रजनन सम्बंधी समस्याएं उत्पन्न करते हैं:- ब्रूसेला, लिसिटरिया, कैलमाइडिया और IBRT विषाणु इत्यादि हैं।

प्रश्न: क्या विभिन चर्मरोग भी संक्रामक होते है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : पशुओं में चर्मरोग कई कारणों से होते है जिनमें से संक्रामक रोग भीएक प्रमुख कारण है। बहुत से जीवाणु रोग एवं बाहय अंगों को प्रभावित करते हैं। चर्मरोग का एक प्रमुख जीवाणु कर्क स्टैफाइलोकोकस है जो बालों का गिरना चमड़ी का खुरदुरापन एवं फोड़े-फुन्सियों का कारण बनता है। पशुओं में चर्म रोग का एक प्रमुख कर्क फँफूद भी होता है (ड्रमटोमाइकोसिस)।

प्रश्न: बछड़ों में दस्त रोग के मुख्य कारक क्या है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : बहुत से जीवाणु रोग बछड़ों में दस्त रोग का कारण है। वर्षा ऋतु की यह एक प्रमुख समस्या है। कोलिबैसिलोसिस, बछड़ों में दस्त एवम आंतों कि सूजन का एक प्रमुख कारक है, जिसमें बहुत से बछड़ों की मृत्यु भी हो जाती है।

प्रश्न: थनैला रोग केजीवाणु कारक कौन से है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : थनों की सूजन को थनैला रोग कहते है और यह मुख्यतः वर्षा ऋतु की समस्या है। इसके प्रमुख जीवाणु कारक निम्न है:- स्टैफाइलोकोकस, स्ट्रैप्टोकोकस , माइकोप्लाज़मा, कोराइनीबैक्टिरीयम, इ.कोलाई (E.Col) तथा कुछ फंफूद होते हैं।

प्रश्न: कौन से संक्रामक रोग पशुओं में गर्भपात का कारण बनते है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : पशुओं में गर्भपात के लिये बहुत से जीवाणु एवं विषाणु उत्तरदायी होते हैं। गर्भपात गर्भवस्था के विभिन्न चरणों में संभव है। प्रमुख जीवाणु एवं विषाणु जो गर्भपात का कारक है: ब्रूसेला,लेप्टोस्पाइरा, कैलमाइडिया एवम् IBR , PPR विषाणु इत्यादि।

प्रश्न: थनैला रोग के रोकथाम के प्रमुख उपाय कौन से है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : पशुओं की शाला को नियमित रूप से सफाई की जानी चाहिये । मल-मूल को एकत्रित नहीं होने देना चाहिये। – थनों को दुहने से पहले साफ़ करने चाहिये। – दुग्ध दोहन स्वच्छ हाथों से करना चाहिये। – दुग्ध दोहन दिन में दो बार अथवा नियमित अंतराल पर करना चाहिये। – शुरू की दुग्ध-धाराओं को गाढ़ेपन एवं रगँ की जांच कर लेनी चाहिये। – थन यदि गर्म , सूजे एवं दुखते हो टो पशुचिकित्सक से परीक्षण करा लेना चाहिये।

प्रश्न: संक्रामक रोगों की रोकथाम के क्या उपाय हैं?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : संक्रामक रोगों के रोकथाम के लिये उचित आयु एवं उचित अंतराल पर टीकाकरण करना चाहिये। पशुशाला को नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए और विषाणुरहित रखनी चाहिए। पशुशाला में नियमित रूप से विराक्लीन ( Viraclean ) का छिड़काव करनी चाहिए ।

प्रश्न: टीकाकरण की उचित आयु क्या है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : टीकाकरण कार्यक्रम रोग के प्रकार , पशुओं कि प्रगति एवम् टिके के प्रकार पर निर्भर करता है। समान्यतः टीकाकरण 3 महीने की पर किया जाता हैं। व्यवहारिक तौर पर पशुपालकों को सलाह दी जाती है की टीकाकरण के लिये पशुचिकित्सक की सलाह लें।

प्रश्न: क्या टीकाकरण सुरक्षित हैं? इसके दुष्प्रभाव क्या हैं?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : जी हाँ, टीकाकरण पूर्णरूप से सुरक्षित हैं। टीकों के उत्पादन में पूर्ण सावधानी बरती जाती है। तथा इनकी क्षमता, गुणवत्ता एवं सुरक्षा सम्बंधी परीक्षण किये जाते है, तत्पश्चात ही इन्हें उपयोग हेतु भेजा जाता है। मद्धिम ज्वर अथवा टीकाकरणस्थान पर हल्की सूजन य्दाक्य हो जाति है जोकि स्वयै दिनों में नियंत्रित हो जाति है। किसी भी शंका समाधान के लिये पशुचिकित्सक से सलाह लेनी चाहिये।

प्रश्न: खनिज पदार्थ क्या होते है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : वो तत्व जो पशुओं के शरीरिक क्रियाओं, जैसे विकास, भरण, पोषण तथा प्रजनन एवं दूध उत्पादन में सहायक होते हैं खनिज तत्व कहलाते हैं। मुख्य खनिज तत्व जैसे सोडियम, पोटाशियम , कापर, लौ, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक, क्लोराइड़, सेलिनियम और मैंगनीज आदि है।अमीनो पॉवर ( Amino Power) एक सम्पूर्ण और काफी महत्वपूर्ण विटामिन्स और खनिज तत्वों से भरपूर टॉनिक है ,जोकि काफी प्रभावकारी भी इसे पशुओं को नियमित रूप से देनी चाहिए ।

प्रश्न: खनिज तत्व (मिनरल्स और मिक्सचर)पशुओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : खनिज लवण(मिनरल्स और मिक्सचर) जहां पशुओं के शरीरिक क्रियाओं जिसे विकास, प्रजनन,भरण , पोषण के लिए जरूरी है वहीं प्रजनन एवं दूध उत्पादन में भी अति आवश्यक हैं। खनिज तत्वों का शरीर में उपयुक्त मात्रा में होना अत्त्यंत आवश्यक है क्योंकि इनका शरीर में असंतुलित मात्रा में होना शरीर कि विभिन्न अभिक्रियाओं पर दुष्प्रभाव डालता ही तथा उत्पादन क्षमता प्र सीधा असर डालता है।

प्रश्न: पशुओं को खनिज तत्व(मिनरल्स और मिक्सचर) कितनी मात्रा में देना चाहिये?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : पशुओं को खनिज मिश्रण (मिनरल्स और मिक्सचर) खिलाने की मात्रा : छोटा पशु : 20 ग्राम प्रति पशु प्रतिदिन बड़े पशु : 40 ग्राम चिलेटेड ग्रोमिन फोर्ट ( Chelated Growmin Forte) प्रति पशु प्रतिदिन।

प्रश्न: साईलेस क्या होता है? इसका क्या लाभ है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : वह विधि जिसके द्वारा हरे चारे अपने रसीली अवस्था में ही सिरक्षित रूप में रखा हुआ मुलायम हर चारा होता है जो पशुओं को ऐसे समय खिलाया जाता है जबकि हरे चने का पूर्णतया आभाव होता है।

साईलेस के लाभ :

• साईलेस सूखे चारे कि अपेक्षा कम जगह घेरता है।

• इसे पौष्टिक अवस्था में अधिक समय तक रखा जा सकता है।

• साईलेस से कम खर्च पर उच्च कोटि का हरा चारा प्राप्त होता है।

• जड़े के दिनों में तथा चरागाहों के अभाव में पशुओं को आवश्यकता अनुसार खिलाया जा सकता है।

प्रश्न: साईलेस बनाने की प्रक्रिया बतायें।
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब  : हरे चारे जैसे मक्की, जवी, चरी इत्यादि का एक इंच से दो इंच का कुतरा कर लें। ऐसे चारों में पानी का अंश 65 से 70 प्रतिशत होना चाहिए। 50 वर्ग फुट का एक गड्डा मिट्टी को खोद कर या जमीन के ऊपर बना लें जिसकी क्षमता 500 से 600 किलो ग्राम कुत्तरा घास साईलेस की चाहिए। गड्डे के नीचे फर्श वह दीवारों की अच्छी तरह मिट्टी व गोबर से लिपाई पुताई कर लें तथा सूखी घास या परिल की एक इंच मोती परत लगा दें ताकि मिट्टी साईलेस से न् लगे। फिर इसे 50 वर्ग फुट के गड्डे में 500 से 600 किलो ग्राम हरे चारे का कुतरा 25 किलो ग्राम शीरा व 1.5 किलो यूरिया मिश्रण परतों में लगातार दबाकर भर दें ताकि हवा रहित हो जाये घास की तह को गड्डे से लगभग 1 से 1.5 फुट ऊपर अर्ध चन्द्र के समान बना लें। ऊपर से ताकि गड्डे के अंदर पानी व वा ना जा सके। इस मिश्रण को 45 से 50 दिन तक गड्डे के अंदर रहने दें। इस प्रकार से साईलेस तैयार हो जाता है जिसे हम पशु की आवश्यकता अनुसार गड्डे से निकलकर दे सकते हैं।

प्रश्न: सन्तुलित आहार से क्या अभिप्राय है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : ऐसे भोजन जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन वसा खनिज लवणों उचित मात्रा में उपस्थित हों सन्तुलित आहार कहलाता है। पशुओं के आहार को संतुलित बनाने के लिए उनके चारे में नियमित रूप से मिनरल्स और मिक्सचर चिलेटेड ग्रोमिन फोर्ट ( Chelated Growmin Forte)  मिलकर दें ।

प्रश्न: गर्भवती गाय को क्या आहार देना चाहिए?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : गर्भवती गाय को चारा शरीर के अनुसार एवं सरलता से पचने वाला होना चाहिए। दाना 2 – 4 कि॰ग्राम॰ प्रतिदिन तथा दुग्ध हेतु दाना अतिरिक्त देना चाहिए।मिनरल्स और मिक्सचर चिलेटेड ग्रोमिन फोर्ट ( Chelated Growmin Forte) और ग्रोविट- ए (Growvit – A ) नियमित रूप से देनी चाहिये प्रतिदिन देना चाहिए। पशु चिकित्सक से सम्पर्क अति आवश्यक है।

प्रश्न: भेड़ पालक को भेड़ पालन शुरू करने के लिए भेडें कहाँ से लेनी चाहिए।
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : भेड़ पालकों को अच्छी नसल की मेमने लेने के लिए सरकारी भेड़ फार्म और पशु अस्पताल में डॉक्टरों से संपर्क करें । भेड़पालन के बारे में विस्तृत जानकारी हेतु आप Goat & Sheep Farming Guide लिंक पर बकरी और भेड़ पालन से सम्बंधित पुस्तके डाउनलोड कर के पढ़ें  ।

प्रश्न: मैदानी संस्थानों में पहाड़ों की तरफ जाते समय भेड़ पालकों को किन सावधानियों का ध्यान
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : अप्रैल के महीने में गद्दी भाई अपने पशुओं के साथ ऊंचे चरागाहों की तरफ चल पड़ते है। परन्तु उन्हें चाहिए पलायन से पूर्व समय से भेड़ बकरियों का टीकाकरण करवा लें तथा रास्ते में किसी तरह की बीमारी की समस्या आने पर तुरन्त उपचार करवायें।

प्रश्न: टीकाकरण के लिए किस से सम्पर्क करें?
डॉक्टर का जबाब : टीकाकरण के लिए उन्हें निकट के पशु चिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क करना चाहिए।

प्रश्न: ऊँची चरागाहों में खासकर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : ऐसा देखा गया है कि गद्दी भाई पने पशुओं को घास चराने के अलावा कुछ भी नहीं खिला पाते हैं, हालांकि देखा गया है कि ऊँचे चरागाहों में जाने के बाद भेड़ बकरियों में नमक की कमी हो जाती है। अतः दो ग्राम प्रति भेड़ प्रतिदिन के हिसाब से सप्ताह में दो बार नमक अवश्य देना चाहिए।

प्रश्न: हिमाचल प्रदेश की जलवायु के लिए कौन सी नस्ल की भेडें अधिक अच्छी होती हैं?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : हिमाचल प्रदेश की जलवायु के लिए गद्दी एवं गद्दी संकर नस्ल की भेडें अति उत्तम रहती है।

प्रश्न: मेरी बछड़ी तीन साल की है, स्वस्थ है पर बोलती नहीं है क्या करें?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : उसकी जांच किसी नज़दीक के पशु चिकित्सक से करवायें। उसके गर्भशय में कोई समस्या हो सकती है या खान पान में कमियां हो सकती है । उसे अमीनो पॉवर ( Amino Power ) नियमित रूप से दें।

प्रश्न: पशु कमज़ोर है क्या करें?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : निकट के पशुपालन अस्पताल में जा कर पशु चिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क करना चाहिए। उसके पेट कीड़े भी हो सकते हैं। जिसका उपचार अति आवश्यक है। उसेलिवर टॉनिक ग्रोलिव फोर्ट ( Growlive Forte ) और अमीनो पॉवर ( Amino Power ) नियमित रूप से दें ,काफी फायदा होगा ।

प्रश्न: पशुओं की स्वास्थ्य की देख रेख के लिए क्या कदम उठाना चाहिए?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : किसानों को नियमित रूप से पशुओं कि विभिन्न बीमारियों के रोक थम के लिए टीकाकरण करवाना, कीड़ों की दवाई खिलाना तथा नियमित रूप से उनकी पशु चिकित्सा अधिकारी से जांच करवाना।पशुशाला को नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए और विषाणुरहित रखनी चाहिए । पशुशाला में नियमित रूप से विराक्लीन ( Viraclean ) का छिड़काव करनी चाहिए ।

प्रश्न: बार बार कृत्रिम गर्भ का टीका लगाने के बाबजूद पशु के गर्भधारण न कर पाने का उपाय बतायें ?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : इसका मुख्य कारण पशुओं को असंतुलित खुराक की उपलब्धता व सन्तुलित आहार का न मिल पाना व रोगग्रस्त होने के कारण हो सकता है। ग्रोविट- ए (Growvit – A ) नियमित रूप से देनी चाहिये प्रतिदिन देना चाहिए। ऐसे में पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।

प्रश्न: सन्तुलित आहार से की अभिप्राय है?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : ऐसा भोजन जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन वसा विटामिन्स एवं खनिज लवणों उचित मात्रा में उपस्थित हों सन्तुलित आहार कहलाता है।

प्रश्न: परजीवी हमारे पशुओं को किस प्रकार से हानि पहुंचाते हैं?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : परजीवी हमारे पशुओं को मुख्यतया निम्न प्रकार से हानि पहुचाते है: 1. पशुओं का खून चूसकर। 2. पशुओं के आन्तरिक अंगों में सूजन पैदा करके। 3. पशुओं के आहार के एक भाग को स्वयं ग्रहण करके। 4. पशुओं की हड्डियो के विकास में बाधा उत्पन्न करके। 5. पशुओं को अन्य बीमारियों के लिये सुग्राही बना कर।

प्रश्न: पशुओं में पाये जाने वाले आम परजीवी रोगों के क्या मुख्य लक्षण होते हैं?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : पशुओं में पाये जाने वाले आम परजीवी रोगों के मुख्य लक्षण इस प्रकार है: 1. पशुओं का सुस्त दिखायी देना। 2. पशुओं के खाने पीने में कमी आना। 3. पशुओं की तत्व की चमक में कमी आना। 4. पशु में खून की कमी हो जाना। 5. पशुओं की उत्पादन क्षमता में कमी आना। 6. पशुओं का कमजोर होना। 7. पशुओं के प्रजजन में अधिक बिलम्ब होना।

प्रश्न: परजीवी रोगों से पशुओं को कैसे बचाया जाये?
ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब : अधिकतर परजीवी रोगों से पशुओं को निम्न उपायों द्वारा बचाया जा सकता है: 1. पशुओं के रहने के स्थान साफ़-सुथरा व सूखा होना चाहिये। 2. पशुओं का गोबर बाहर कहीं गड्डे में एकत्र करें। 3. पशुओं का खाना व पानी रोगी पशुओं के मल मूत्र से संक्रमित न होने दें। 4. पशुओं को फिलों (Snails) वाले स्थानों पर न चरायें। 5. पशुओं के चरागाहों में परिवर्तन करते रहें। 6. कम जगह पर अधिक पशुओं को न चराये। 7. पशुओं के गोबर कि जांच समय-समय पर करवायें। 8. पशुचिकित्सक की सलाह से कीड़े मारने की दवाई दें। 9. समय-समय पर पशुचिकित्सक की सलाह लें।पशुशाला में नियमित रूप से विराक्लीन ( Viraclean ) का छिड़काव करें।कृप्या आप इस लेख को भी पढ़ें पशुपालकों के सवाल और ग्रोवेल के डॉक्टर का जबाब- भाग १

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FAQs

Growel Agrovet’s Veterinary Products include a complete range of animal health and nutritional supplements. These cover vitamins, minerals, amino acids, herbal tonics, calcium sources, immunity boosters, milk enhancers, disinfectants, and water sanitizers — all formulated for poultry, cattle, aqua, and other livestock.

Growel Agrovet products are suitable for poultry, dairy cattle, goats, pigs, horses, sheep, pets, and aquaculture species. Each product is tested for safety, bioavailability, and performance in different livestock systems.

Growel Agrovet offers an extensive range of veterinary subcategories:

  • Vitamin & Mineral Supplements– Maintain nutrition balance.
  • Amino Acid & Growth Promoters– Improve growth and feed efficiency.
  • Calcium Supplements– Support bones, eggshell, and milk production.
  • Herbal & Liver Tonics– Enhance metabolism and performance naturally.
  • Respiratory Healthcare Products– Manage CRD and respiratory infections.
  • Immunity Booster Supplements– Strengthen disease resistance.
  • Animal Milk Booster Supplements– Improve lactation and milk quality.
  • Feed Premixes– Used for preparing poultry, cattle, and aqua feed.
  • Water Sanitizers & Disinfectants– Maintain hygiene and biosecurity.
  • Electrolytes & Probiotics– Relieve heat stress and improve digestion.
  • Mycotoxin Binders– Protect feed and gut health.

Growel Agrovet’s products enhance growth, feed conversion ratio (FCR), reproduction, immunity, and yield. Regular use supports healthier, disease-resistant animals and better overall farm profitability.

Yes. All Growel Agrovet formulations are non-antibiotic, herbal, and residue-free. They ensure safe, natural performance without affecting meat, milk, or egg quality.

Most products are water-soluble or feed-mixable. Tonics and calcium supplements can be given directly or mixed with feed or water, while disinfectants and sanitizers are used by spraying or mixing as per label instructions.

Supplements should be used regularly for growth, immunity, stress management, and disease prevention. They are particularly beneficial during heat stress, vaccination, peak production, or recovery periods.

Calcium supplements help in developing strong bones, improving eggshell thickness, and increasing milk yield. They prevent calcium deficiency, leg weakness, and reproductive disorders.

Growel Agrovet’s respiratory healthcare range (like Respiratory Herbs and Viraclean) helps control Chronic Respiratory Disease (CRD), Infectious Bronchitis (IB), and other infections by improving lung function and reducing respiratory distress.

Milk booster supplements are specially formulated to enhance lactation, milk fat percentage, and SNF levels. They contain amino acids, vitamins, and herbal galactagogues that support continuous milk flow and udder health.

Immunity boosters strengthen the animal’s natural defense system, reduce mortality, and ensure faster recovery from diseases or heat stress. They help maintain consistent productivity and health in farms.

Feed premixes are balanced blends of essential nutrients used to prepare complete feed for poultry, aqua, and livestock. They guarantee uniform nutrient supply, reduce formulation errors, and enhance feed conversion efficiency.

Disinfectants and water sanitizers like Viraclean and Aquacure maintain biosecurity by controlling harmful bacteria and viruses in sheds, drinkers, and equipment. Regular use prevents disease outbreaks and ensures a healthier environment.

Yes, most products are compatible and can be used in combination for better results. For instance, pairing an immunity booster with a vitamin tonic or calcium supplement enhances overall animal performance.

You can purchase Growel Agrovet products from authorized distributors, veterinary stores, or directly via the official website: www.growelagrovet.com.

All formulations are developed using premium ingredients and rigorous quality checks. Each batch undergoes laboratory testing to ensure purity, safety, and performance.

No. Growel Agrovet formulations are safe, non-toxic, and residue-free. They do not interfere with regular medications or feed components when used as directed.

Yes. Many Growel Agrovet products are free from synthetic antibiotics, making them suitable for organic and sustainable livestock systems.

Visible improvements in feed intake, health, or productivity can usually be seen within 2–7 days of continuous use, depending on the animal’s health status and management conditions.

Growel Agrovet offers scientifically formulated, field-tested, and result-oriented animal healthcare products. Farmers trust the brand for its innovation, consistent quality, and performance-driven approach across India and abroad.

  • Identify the species: poultry vs cattle vs pigs etc.

  • Identify production stage: growing, breeding, layer/egg, recovery.

  • Identify the need: growth, immunity, organ health, water quality, hygiene.

  • Review the product label for species-specific dosage, usage instructions.

  • If unsure, consult our technical support or your veterinary advisor for guidance.

Yes. Our formulations are designed to be safe across various production systems — from large commercial poultry or cattle operations to smaller farms and even pet/companion-bird setups. Always follow the label instructions and consult your veterinarian if combining with other treatments.

Depending on the product type:

  • Water-soluble supplements: mix into drinking-water according to recommended dosage.
  • Feed-premixes: mix thoroughly into feed at specified incorporation rates.
  • Disinfectants/sanitizers: apply as per usage instructions (spray, dip, drinking-water dose).
  • Tonics/herbal syrups: dose using provided measuring device, often for a defined number of days.

In most cases, yes — many of our supplements are designed to be compatible with vaccines and standard medications. However, when using prescription medicines or during disease outbreaks, always consult your veterinarian before combining. Avoid overdosing or overlapping similar active ingredients.

Water sanitizers (acidifiers + sanitizing agents) help maintain clean drinking-water systems, reduce microbial load, and improve water intake and animal health. Disinfectants, especially broad-spectrum types, help eliminate bacteria, viruses, and fungi on surfaces, feeders, drinkers and housing—crucial for bio-security in commercial and large-scale operations.

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